उसे उड़ने की दो इजाज़त या गिरने का दे दो हुक्म.
तुम्हारा इल्म वो सीख ले, जिसका ख़ुदा ना हो.
– रहमत (जुलाहा)
शफ़्फ़ाफ़ सूनी रातों में रहमत मैं इतना बरस गया.
शफ़्फ़ाफ़ सूनी रातों में रहमत मैं इतना बरस गया.
एक आख़िरी मुलाक़ात में आसुओं को तरस गया.
– रहमत (जुलाहा)
रहमत कौड़ी के ज़ोर पे, ग़दर उड़ाए धूल.
रहमत कौड़ी के ज़ोर पे, ग़दर उड़ाए धूल.
इधर उजाड़े आशियाने, उधर बताए फूल.
– रहमत (जुलाहा)
मेहरबानी ओ करम ज़र्रा नवाज़ ज़रा ठहरे.
मेहरबानी ओ करम ज़र्रा नवाज़ ज़रा ठहरे.
मशक़्क़त से चूर उनके पाँव आते जाते यूँ.
बलंद मक़ाम ए यार ज़ेर ए मुहब्बत उतरे.
नसीब ए ताबिंदगी ए रहमत ना घबराते यूँ.
– रहमत (जुलाहा)
उड़ाता है एक शख़्स मेरे किरदार पर धूल, फिर भी हैरां हूँ बशारतों पर.
उड़ाता है एक शख़्स मेरे किरदार पर धूल, फिर भी हैरां हूँ बशारतों पर.
रहमत जिन्न ओ बशर मेरा काँच का घर फिर भी महफ़ूज़ बताते हैं.
– रहमत (जुलाहा)
किस वहम ओ गुमान में था रहमत, दरवाज़े बंद करता रहा.
किस वहम ओ गुमान में था रहमत, दरवाज़े बंद करता रहा.
अलबत्ता जितने भी साँप थे, आस्तीन से हो कर आए.
– रहमत (जुलाहा)
सँवरने लगे हैं ज़ालिम भी आजकल बद-दु’आ लेकर.
सँवरने लगे हैं ज़ालिम भी आजकल बद-दु’आ लेकर.
सूरत पर नज़र का नुक़्ता लिए ज़लील लगा करते हैं.
– रहमत (जुलाहा)
ग़लत हालात, ग़लत सोच, ग़लत जगह, ग़लत लोग.
ग़लत हालात, ग़लत सोच, ग़लत जगह, ग़लत लोग.
कितना कुछ ग़लत चाहिए, ग़लत वक़्त एक सच को ग़लत होने के लिए.
– रहमत (जुलाहा)
फिरौती दो कंगन की माँगता है मेरा महबूब हर रोज़.
फिरौती दो कंगन की माँगता है मेरा महबूब हर रोज़.
मुझे इग़वा कर रखा है मेरा दिल मुट्ठी में बंद कर के.
– रहमत (जुलाहा)
बहुत हुआ सालों साल टूटे फूटे दिल का टूटना रहमत.
बहुत हुआ सालों साल टूटे फूटे दिल का टूटना रहमत.
दिल की धड़कन टूट जाए अब कोई ऐसा इल्ज़ाम दे.
– रहमत (जुलाहा)