उसमें ना हसद, ना ग़ुरूर, ना माल की हड़प, ना दोस्तों के लिए दग़ा हो.
मेरे रब के सिवा कौन जाने कहाँ मोमिन का मन लगा हो.
महफ़ूज़ रहे वो हर बला से कि हर बार यूँ ही बेफ़िक्र रह जाए.
दुआएँ कम नहीं होतीं उसके लिए जो अपनों का सगा हो.
– रहमत (जुलाहा)
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जो पल्ला झाड़ हर ग़ैरत से तू मतलब हल करने में लगा हो.
ये दौलत, वो रिश्ते, ये दावत, उसको छोड़ना सवाब, इसको मनाना सवाब.
सिर्फ़ मायूसी है उसके लिए जो हर ज़िम्मेदारी से भगा हो.
उसमें ना हसद, ना ग़ुरूर, ना माल की हड़प, ना दोस्तों के लिए दग़ा हो.
उ