कितनी रहमत ओ नाज़ से चराग़ बुझाता है कोई. By rehmat10 months agoAdd comment क कितनी रहमत ओ नाज़ से चराग़ बुझाता है कोई. आसाँ नहीं होता हवा के सायों का रोशनी में नहाना यूँ. – रहमत (जुलाहा) #shayari #life #julaha #people FacebookX