घर बुनता रहा जुलाहा, तो कारीगर अच्छा लगा. By rehmat10 months agoAdd comment घ घर बुनता रहा जुलाहा, तो कारीगर अच्छा लगा. पसीना सूखा भी नहीं, सब हस्ब-ए-मामूल हक़ से मुकर गए. – रहमत (जुलाहा) #shayari #life #julaha #people FacebookX