rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

चल आज फिर तेरी ख़ुशबू में महक कर बात करूँ.

चल आज फिर तेरी ख़ुशबू में महक कर बात करूँ.
महक कर बहक जाऊँ और फिर बहक कर बात करूँ.
नहीं बुन सकता इतनी मदहोशी में बातों का ताना बाना.
तू महकना बंद करे तो होश में आऊँ फिर चहक कर बात करूँ.
– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)