जितने भी हमदर्द हैं मेरे, तुमसे दूर ठीक हो रहा हूँ मैं.
अब के दवाएँ जितनी लाओ, थोड़ी ज़्यादा लाना.
मुझसे मीठा बोलने वालों, मैं तुम्हें दुआएँ दूँगा.
इस बार जो ज़हर ले के आओ, तो थोड़ा ज़्यादा लाना.
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– रहमत (जुलाहा)
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