rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

तुझसे दूर देखूँ भी तो किसे देखूँ रफ़त.

तुझसे दूर देखूँ भी तो किसे देखूँ रफ़त.
अब चाँद से दूर देखूँ भी तो क्या दिखे.
– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)