rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

तुझे कभी याद ना रहा ए नादान.

तुझे कभी याद ना रहा ए नादान.
तेरे साथ गुज़रा एक ज़माना भी तो था.
तुझे भूल तो मैं भी जाता कभी.
मगर खुश रहना और मुस्कुराना भी तो था.
चला जाता तुझसे बहुत दूर लेकिन.
थक जाता वापिस आना भी तो था.
कब तक रहता तेरे वजूद से बेपरवाह.
तुझसे मिलकर सब कुछ बतलाना भी तो था.
– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)