rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

दिल मक़ाम-ए-आरज़ू बरबाद.

दिल मक़ाम-ए-आरज़ू बरबाद.
इश्क़ रस्म-ए-जुस्तजू बरबाद.
शम्स मग़रिब नूर मशरिक़.
माह रस्म-ए-आबरू बरबाद.
बज़्म साक़ी मै क़दह ख़ाली.
जाम सरनमू मजनूँ बरबाद.
ज़ुल्फ़ शब रुख़्सार माहताब.
हुस्न मशहूर गुफ़्तगू बरबाद.
दर्द पैहम ज़ख़्म नासूर.
‘रफ़त’ जाँ-ए-सुर्ख़-रू बरबाद.
– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)