मेहनत कर के हासिल की है इन आँखों में ग़ैरत. By rehmatOctober 2, 2024Add comment म मेहनत कर के हासिल की है इन आँखों में ग़ैरत. औक़ात समझते हैं जिसे मैं ऐसी हम्मियत में नहीं. बिकता होगा टुकड़ों में यहाँ वहाँ टूटा फूटा ज़मीर. दाग़ ए दग़ा मेरी परवरिश ओ तरबियत में नहीं. – रहमत (जुलाहा) FacebookX