rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

रहमत कौड़ी के ज़ोर पे, ग़दर उड़ाए धूल.

रहमत कौड़ी के ज़ोर पे, ग़दर उड़ाए धूल.
इधर उजाड़े आशियाने, उधर बताए फूल.
– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)