सजाते हैं शाख़ अपनी, देख कर गुलशन-ए-जवार को. By rehmat10 months agoAdd comment स सजाते हैं शाख़ अपनी, देख कर गुलशन-ए-जवार को. आशियाँ के फ़रेबी-ओ-अय्यार परिंदे, कौन कहे नाबकार को. – रहमत (जुलाहा) #shayari #life #julaha #people FacebookX