rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

हर शख़्स उठाता है लुत्फ़ मेरे सस्ता होने का रहमत.

हर शख़्स उठाता है लुत्फ़ मेरे सस्ता होने का रहमत.
हूँ महँगे मिज़ाज ए शौक़ का मौज़ू’ ख़ातिर ए मुस्कान.
– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)