rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

मुत्तक़ी मुर्शिद मुरीद मुश्ताक़ ए मीर ओ इल्मदार.

मुत्तक़ी मुर्शिद मुरीद मुश्ताक़ ए मीर ओ इल्मदार.
रहमत के रास्ते में बैठे हैं कितने कि जाने हम किधर से जाएँ.
– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)