rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

हाथ छोड़ कर कलम उठा तो ली मैंने रहमत.

हाथ छोड़ कर कलम उठा तो ली मैंने रहमत.
राह ए ख़ुदा में ज़्यादा सहना अब भी लाज़िम है.
– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)