मेहरबानी ओ करम ज़र्रा नवाज़ ज़रा ठहरे. By rehmatOctober 12, 2024Add comment म मेहरबानी ओ करम ज़र्रा नवाज़ ज़रा ठहरे. मशक़्क़त से चूर उनके पाँव आते जाते यूँ. बलंद मक़ाम ए यार ज़ेर ए मुहब्बत उतरे. नसीब ए ताबिंदगी ए रहमत ना घबराते यूँ. – रहमत (जुलाहा) FacebookX