rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

हमने सुन रखा था सुकून की नींद आती है तो लिखने लगे मगर.

हमने सुन रखा था सुकून की नींद आती है तो लिखने लगे मगर.
रहमत कलम ख़ुद बेचैन हो जाती है रात भर जागने के लिए.
– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)