rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

आ रहा है तुझपे यूँ ही प्यार बादस्तूर.

आ रहा है तुझपे यूँ ही प्यार बादस्तूर.
फूल से चेहरे पर निखर रहा कितना प्यारा नूर.
छोटी सी नाक चढ़े ऊपर नीचे कि बेवजह ग़ज़ब करे.
होते रहें ज़ुल्म हम ही पर, और हम ही कहते रहें, चश्म ए बद दूर.
– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)