कोई तवज्जोह कारगाह ए रोज़ी को भी हो जुलाहा.
ग़म ओ सोज़ को मुहय्या क़ुव्वत ए इश्क़ भी तो हो.
– रहमत (जुलाहा)
तवज्जोह – ध्यान
कारगाह – काम करने की जगह
रोज़ी – कमाई, खाना
मुहय्या – मौजूद, फ़राहमं
क़ुव्वत – ताक़त
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