ना हो करामात ओ मो’जिज़ा ए नज़ाकत जुलाहा.
सब शिद्दत ए तकमील बेज़ार ओ आज़ार हो जाए.
…
मुसलसल तवक़्क़ो’ ओ ज़रूरत ओ वाबसता ए हयात ये ‘इश्क़.
…
बाद चूमने को जबीं ए ज़ौजा हो तुलू’ ए आफ़ताब.
हो नमाज़ ए फ़ज़्र में बेदार ओ शुक्रगुज़ार हो जाए. (ख़ुदा का शुक्रगुज़ार)
– रहमत (जुलाहा)
करामात – ऐसा काम जो आसान ना हो, जादू
मो’जिज़ा – चमत्कार
नज़ाकत – नाज़ुक होना, धीरे से चलना, ख़ूबसूरती
शिद्दत – किसी काम को पूरा ज़ोर लगा देना
तकमील – पूरा काम
बेज़ार – थका हुआ
आज़ार – तकलीफ़
मुसलसल – लगातार
तवक़्क़ो’ – उम्मीद
ज़रूरत – सबब, need
वाबसता – जुड़ा हुआ
हयात – ज़िंदगी
जबीं – पेशानी, forehead
ज़ौजा – बीवी
तुलू’ – उगना, उठना, जैसे सूरज उगना
आफ़ताब – रोशनी, सूरज
नमाज़ ए फ़ज़्र – सुब्ह आसमान में रोशनी होने से ठीक पहले पढ़ी जाने वाली नमाज़
बेदार – जागना
शुक्रगुज़ार – शुक्रिया अदा करना
(नमाज़ में ख़ुदा का शुक्र अदा करना)
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