इतनी शफ़क़त से सजा रहे हो फूल, लगता है थोड़ी राहत देने आए हो.
अपने हो ख़ामोश हो संजीदा हो, हल्के से नज़्र-ए-नज़ाकत देने आए हो.
निभा रहे हो मुर्दा-परस्ती की रस्में, अपने दिलों को मलाहत देने लाए हो.
खुश हो या ग़मगीन हो अदाकारों, कि मिट्टी डालकर अब निकल भी जाओ.
उम्र भर जला कर मेरे शामियाने, मेरी कब्र पर रुके हो क्या मेरी दावत देने आए हो.
– रहमत (जुलाहा)
#shayari #relationship #relatives #greedy #irritated #haath #hands #shafkat #saja #phool #raahat #khamosh #sanjeeda #halka #nazar #nazakat #gamgeen #adakaar #mitti #shamiyana #tent #party #kabr #kabar #rasme #malahat #dawat #murda #parasti #dil