rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

(अम्मी-पापा ♥️) उलझी हुई बेलों सी लटें. नयी टहनियों सी लचक.

(

(अम्मी-पापा ♥️)
उलझी हुई बेलों सी लटें. नयी टहनियों सी लचक.
दूर बैठे शायरों का ख़्वाब. फ़िज़ा में फूलों सी खनक.
ना डगमगाए कदम. खड़ी हो अब भी नज़रें जमाए हुए.
पनाह देती मज़बूत बाँहें. खिलखिलाते नन्हे परिंदे सजाए हुए.
सफ़ेद हो रही हैं मेरी ये निगाहें. तुम अब भी ध्यान रखती हो.
बरगद सी हो तुम. बैठा कर अपने पास मुझ पर छाँव रखती हो.
– रहमत (जुलाहा)

#shayari #ammi #papa #love #beautiful #flowers #branches #phool #lachak #laten #shayar #khwab #dream #poet #fiza #khanak #kadam #nazar #stable #panaah #baahen #arms #khilkhilate #parinde #safed #nigah #dhyaan #bargad #chhanv #shade

About the author

Add comment

Avatar photo By rehmat
rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी
Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)