rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

तेरे सिवा किसी और की सूरत दिल में आती नहीं.

तेरे सिवा किसी और की सूरत दिल में आती नहीं.
तेरी याद है कि आ कर फिर वापिस जाती नहीं.
एक मेरा दिल है जो लगता नहीं तुझसे बिछड़ कर.
एक तेरी नज़र है जो शरमा कर मुझसे मिल पाती नहीं.
– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)