फूलों की ज़िंदगी भी, कैसी है बे-सबात. By rehmat10 months agoAdd comment फ फूलों की ज़िंदगी भी, कैसी है बे-सबात. सुबह को खिल के शाम को, मुरझाए से हो गए. जवानी की बहार भी, अब ढल चली है यार. हम भी बेजाँ चमन की तरह, बिखराए से हो गए. – रहमत (जुलाहा) #shayari #life #julaha #flowers FacebookX