एक शे’र मेरी नज़्म से.
तड़प उठता हूँ दीदार को कि तू ग़लत हो
नहीं सकता.
सनम तुम मुझमें से निकल कर क्यूँ मुँह बनाने लगे.
– रहमत (जुलाहा)
#shayari #love #friendship #beautiful #julaha #dil #jaan
एक शे’र मेरी नज़्म से.
तड़प उठता हूँ दीदार को कि तू ग़लत हो
नहीं सकता.
सनम तुम मुझमें से निकल कर क्यूँ मुँह बनाने लगे.
– रहमत (जुलाहा)
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