मुसव्विर जो नहीं थे हम, तो तेरी तस्वीर कैसे बनाते.
हम जितने भी आईने लाए, सब में बस तू निकला.
जानाँ हमने तेरी याद में, तुझसे बेवफ़ा हो कर भी देखा.
तसव्वुर में जितने घूँघट उठाए, सब में बस तू निकला.
– रहमत (जुलाहा)
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