rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

जब तक थे वहाँ, तो हर एक को थी शिकायत.

जब तक थे वहाँ, तो हर एक को थी शिकायत.
देख तदबीर ए तदारुक रहमत, दूरी भी हमें ही रास आए.

– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)