ना लेती हो तुम जान बस एक मुलाक़ात में. By rehmatApril 27, 2024Add comment न ना लेती हो तुम जान बस एक मुलाक़ात में. शब के हर पहर ख़यालों में मक़ाम करती हो. सुबह को देती हो फिर वफ़ाओं का मरहम. शाम फिर निगहों से क़त्ल ए आम करती हो. – रहमत (जुलाहा) FacebookX