दिन रात ख़ुद को तोड़ कर क्या कुछ ना कमाया मैंने.
तिनका तिनका जोड़ कर एक छोटा सा घर बनाया मैंने.
एक दिन एक बदबख़्त मेरी पेशानी पर अपना नाम लिखने चला आया.
एक बार फिर एक शैतान से अपना सर बचाया मैंने.
– रहमत (जुलाहा)
दिन रात ख़ुद को तोड़ कर क्या कुछ ना कमाया मैंने.
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