ना बरकत रहे फ़ज़्र की, ना सब्र रहे काम पर. By rehmat10 months agoAdd comment न ना बरकत रहे फ़ज़्र की, ना सब्र रहे काम पर. ना दिन में जगे उल्लू, ना चमगादड़ सोए रात भर. – रहमत (जुलाहा) #shayari #life #julaha #people FacebookX