rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

फिर पकड़ी थी चरखी परखने को कुछ आखरी पतंग.

फिर पकड़ी थी चरखी परखने को कुछ आखरी पतंग.
वो बल मारे रिश्तों ने जुलाहा कि हथेली पर ज़ख़्म हो गए.
– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)