rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

लिखूँ जो रूह ए ग़ज़ल ए सहर ए नौ में तेरा नाम ए जान-सरापा.

लिखूँ जो रूह ए ग़ज़ल ए सहर ए नौ में तेरा नाम ए जान-सरापा.
लब ओ ज़बाँ पर चाश्नी की क्या मज़ाल जो इससे मीठी हो जाए.
– रहमत (जुलाहा)

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Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)