मिटाने को मेरी लिखावट, तू कितने ‘अज़ाब करता है. By rehmatSeptember 2, 2024Add comment म मिटाने को मेरी लिखावट, तू कितने ‘अज़ाब करता है. एक खुली किताब से सियाही का भी हिसाब करता है. – रहमत (जुलाहा) FacebookX