rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी

ख़ंजर भी खाएँ और ये ग़मख़्वारी.

ख़ंजर भी खाएँ और ये ग़मख़्वारी.
लोगों ने रहमत ज़ख़्म भी दिये, तज़वीर भी दी.
ग़मगीनी ए दिल और फिर हाजत बरारी.
ख़ुदा ने रहमत नाम भी दिया, तासीर भी दी.
– रहमत (जुलाहा)

#shayari #life #julaha #people

About the author

Add comment

Avatar photo By rehmat
rehmat.re रहमत (जुलाहा) की शायरी
Rehmat Ullah - रहमत (जुलाहा)